

मेरी कलम से: नए साल में होशियार रहना पड़ेगा
अवर्गीकृत December 12, 2020 Times Todays News 0

सूर्य भानु गुप्त
रची जा रही थी मेरे कत्ल की साजिश। पहुंचा तो कहने लगे लंबी उमर तुम्हारी। तो आइए शुरू करते हैं। कुछ दिन बाकी है। नया साल आने में। पुराना याद रखा जाएगा। एक महामारी के लिए। नए साल में भी होशियार रहना पड़ेगा। उद्घाटन शिलान्यास के समझने में कंफ्यूज हो जाता हूं। बच्चे से पूछा जवाब अच्छा था। जहां रकम खर्च जा चुकी हो। उसे उद्घाटन करना कहते हैं। जहां रकम खर्च होना है। उसे शिलान्यास करनाकहते हैं। इसका नए संसद भवन से कोई लेना-देना नहीं।किसानों का आंदोलन जारी है। आंदोलन किसान बिल को लेकर है जो किसानों को मंजूर नहीं। सरकार को मंजूर है। वैसे एक बात समझ में नहीं आती ।किसान कितना छूट चाहते हैं। आपका धान किस भाव मिलता है मुझे नहीं पता। चावल ₹50 मिलता है यह मालूम है। बीच का रकम कहां जाती है नहीं पता। फैसला करना सरकार का काम है। दोनों तरफ से तलवारबाजी कीजा रही है।समस्या समाधान की तरफ बढ़ता नहीं दिखाई दे रहा है। किसान बिल को लेकर नेताओं में भी ठन गई। मेरा अपना मानना कोई ना कोई रास्ता निकालना चाहिए। जरा पीछे चलिए। लॉक डाउन का दिन याद कीजिए। कितने किसानों के खेत बंद थे। आज की तारीख को कितने किसान यूनिट के हिसाब से बिजली बिल देते हैं। खाद पर छूट बीज पर छूट बिजली पर छूट। इनकम टैक्स के दायरे में किसानों को लाया जाए। कितने लोग सहमत हैं। इधर भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा आयुर्वेद डॉक्टर जो यह यम यस किए हो। उसको सर्जरी की अनुमति देने को लेकर विरोध हो रहा है बीएएमएस डॉ पूजा गुप्ता ने बताया कि केवल भ्रम फैलाया जा रहा है । सवाल है शल्य चिकित्सा का जनक कौन था।इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को जनता के हित। मरीजों के हित को सोचना चाहिए। मेरा मानना है कि जनता का भला अगर होता है तो होने दिया जाए। बात खत्म करते हैं एक शेर से। दरवाजा छोटा ही रखना अपना। जो झुक के आ जाए समझ लो अपना। मीडिया का रवैया देख ले। 1 न्यूज़ चैनल पर किसानों के लिए दिल्ली में पकौड़ा तला जा रहा है। दिखाया जा रहा था।
No comments so far.
Be first to leave comment below.