मेरी कलम से : न जी भर के देखा न कुछ बात की.. मेरी कलम से : न जी भर के देखा न कुछ बात की..
सूर्यभान गुप्त ना जी भर के देखा। ना कुछ बात की।बड़ी आरजू थी मुलाकात की।चलिए शुरू होते हैं। विष्णु भगवान के जागने के बाद... मेरी कलम से : न जी भर के देखा न कुछ बात की..

सूर्यभान गुप्त

ना जी भर के देखा। ना कुछ बात की।बड़ी आरजू थी मुलाकात की।चलिए शुरू होते हैं। विष्णु भगवान के जागने के बाद शादी ब्याह मांगलिक कार्य शुरू हो गया। कुछ के चेहरों पर रौनक आ गई। एक करोड़ का सवाल। अगर 35 साल का दूल्हा होगा। तो दूल्हे के बाप की उम्र बताइए। शादी में शामिल होने लायक है कि नहीं।मार्च महीने में लॉकडाउन शुरू हो गया। खेती किसानी का काम चलता रहा। व्यापारी बंद हो गए दुकान के भीतर। इनकम टैक्स से लेकर जीएसटी लोकल टैक्स आदि का भुगतान करने वाला व्यापारी हमेशा चोर माना जाता है। मजे की बात इनका योगदान जोड़ा नहीं जाता। किसान अन्नदाता है। अध्यापक ज्ञानदाता है। डॉक्टर जीवन दाता है। व्यापारी चोर। बिजली विभाग फ्री बिजली पाता। इंजीनियर ईमानदार है। चलिए आगे बढ़ते। देश का मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ रेट 12 से घटकर 6% हो गया। यानी कि कुछ नहीं बनाया जा रहा है। केवल बेवकूफ बनाया जा रहा है। किसानों की बात करते हो। उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। लेकिन एक तरफा बात नहीं होनी चाहिए। तमाम सेक्टर ऐसे हैं जो बुरी तरह परेशान है।बेरोजगारी की समस्या का हल निकलता नहीं दिखाई दे रहा है। दवा की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही है।बीमार होना भी मुसीबत हो गया है और ऐसे में जिसका आईटी सेल मजबूत होगा। उसे सही माना जाएगा, हिटलर के प्रचार मंत्री का कहना था , एक झूठ को सौ बारबोला जाए तो वह सच लगने लगता है।

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