गर्व नहीं करना यारों….. गर्व नहीं करना यारों…..
गर्व नहीं करना यारों देखा है हर रोज जमाने को बदलते हमने, आज कुछ और कल कुछ और होते देखा है। चलते थे अकड़... गर्व नहीं करना यारों…..

गर्व नहीं करना यारों

देखा है हर रोज जमाने को बदलते हमने,

आज कुछ और कल कुछ और होते देखा है।

चलते थे अकड़ के शेरों की तरह जो,

उनको चलने के लिए सहारे खोजते देखा है।

जिनकी नजरों से नजर न मिलाते थे लोग,

उन नजरों को बादल सा बरसते देखा है।

जिनके इशारे से भूकंप आ जाता था,

उन हाथों को पीपल पत्ते की तरह कापते देखा है।

जिनकी आवाजों से बड़े बड़ों को पसीने आते,

उनके होठों पर बेबसी का ताला देखा है।

यौवन धन ताकत कुदरत ने जो बक्सा है,

इनके जाते ही लोगों को बेजार हुआ दे खा है।

कभी किसी पर गर्व नहीं करना यारों,

समय की धारा में अच्छे अच्छों को बहते देखा है।

हो सके तो किसी की आंसू पोछे,

दुख देते हुए तो हजारों को मैंने देखा है।

बलराम त्रिपाठी

Times Todays

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