

–: शरीर क्यों मिला है :–
अम्बेडकर नगरजिलेसाहित्य जगत October 21, 2020 Times Todays News 0

निद्रा धन व्यवसाय में, समय जात सब बीत।
परिवार धर्म में ऐसे फंसे, भूल गए सच बात।
प्रतिक्षण हो रही मृत्यु जो, विस्मृत है यह बात।
सुधार सके ना जीवन को, समय निकल गया हाथ।
पाप किया पूर्व जन्म में, तभी मिला है गा त।
धारण करना देह का, सुख दुख तेरे साथ।
देह मिला है इसलिए, दुख है मेरे साथ।
निष्पाप होते हम सभी, शरीर न होती साथ।
क्षण क्षण पर ध्यान दें, पवित्र होय मन गात।
आवागमन से मुक्त हो, मिले नहीं फिर गात।
डॉ. बलराम त्रिपाठी
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