सच्ची श्रद्धा से ईश्वर की प्राप्ति होती है:  नारायण सच्ची श्रद्धा से ईश्वर की प्राप्ति होती है:  नारायण
दिनेश कुमार वैश्य बाबा बाजार मवई अयोध्या/ सती माता के सतीत्व व शक्ति का वर्णन करना संभव नहीं है जिन्होंने अपने तपोबल से विधि... सच्ची श्रद्धा से ईश्वर की प्राप्ति होती है:  नारायण

दिनेश कुमार वैश्य

बाबा बाजार मवई अयोध्या/ सती माता के सतीत्व व शक्ति का वर्णन करना संभव नहीं है जिन्होंने अपने तपोबल से विधि के विधान को भी विषम परिस्थितियों में बदल दिया सतयुग ,द्वापर युग, त्रेता युग में एक नहीं अनेकों सती माताओं ने समय-समय पर अपने शक्ति व तपस्या के बल पर अपनी महिमा का प्रकाश बिखेरा है जिसका वर्णन वेदों पुराणों में वर्णित है यह उदगार मवई बिकास खंड के ग्राम उमापुर स्थित राधा-कृष्ण हनुमान मंदिर परिसर में आयोजित 15 दिवसीय श्री शिव महापुराण भागवत कथा पाठ के 12वे दिन कथावाचक पंडित श्री नारायण बाजपेई ने कही उन्होंने अनेकों सती माताओं की कई बहुचर्चित कथाओं का वर्णन बड़े सरल भाषाओं में किया तथा विषम परिस्थितियों में देवताओं की सामर्थ व शक्ति को भी पराजय का सामना करना पडा जो पुराणों में वर्णित है सती माताओ के सत्य और महिमा का व्याख्यान करते हुए कहा कि उक्त सती माताओं की भांति आज कलयुग में भी माताएं एक से बढ़कर एक सराहनीय व अद्वितीय कार्य कर सकती हैं परंतु उन्हें उक्त माताओं जैसे माता शबरी अहिल्या अनु सुइया,नर्मदा, सती सावित्री ,सती उर्मिला ,सती बिहुला, सती सुलोचना दमयंती आदि के पद चिन्हों का अनुसरण करना होगा तथा अगाध प्रेम, अटूट विश्वास, निश्छल मन,व श्रद्धा भाव के साथ अपने आराध्य तथा पति परमेश्वर की सेवा तथा सेवकाई करनी होगी ऐसा करने से यह माताएं भी अनहोनी को होनी में बदल सकती हैं इसमें तनिक भी संदेह नहीं है उन्होंने कथा को आगे बढ़ाते हुए मनुष्य को मोह माया लालच के मकड़जाल से निकलने हेतू बहुत सुगम व सरल तरीका बताते हुए कहा कि प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन के प्रत्येक कार्य के साथ-साथ दो- चार पल अपने आराध्य देवी देवताओं के लिए पूजा अर्चना आराधना हेतू प्राणी को अपने जीवन को संवारने के लिए निकालना चाहिए परंतु मानव जीवन पाने के बाद ज्यो ज्यो जागरूक जानकार होता जाता है त्यो त्यो मोह माया लोलूता कुटुंब परिवार के मकड़जाल रूपी दलदल में फंस कर ईश्वर की ओर से उसका मोह प्रेम लगाव भंग हो जाता है इसी वजह से प्राणी को एक के बाद एक भव ,बाधाएं घेरने लगती हैं और वह अपनी जीवन ने अनेक बाधाओ दुश्वारियां को झेलता रहता है इसलिए अपने जीवन की दिनचर्या के साथ-साथ मानव को निश्छल मन, अटूट प्रेम ,सच्ची श्रद्धा सहित परमपिता परमात्मा की सेवकाई करनी चाहिए

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