हंस हमें हलाहल पीना है।। हंस हमें हलाहल पीना है।।
आशाओं के दीप बूझें जबऔर न कोई राह सुझे जबहोना तनिक निराश नहींखोना निजपर विश्वास नहींजीवन को ऐसे जीना है।हंस हमें हलाहल पीना है।।... हंस हमें हलाहल पीना है।।

आशाओं के दीप बूझें जब
और न कोई राह सुझे जब
होना तनिक निराश नहीं
खोना निजपर विश्वास नहीं
जीवन को ऐसे जीना है।
हंस हमें हलाहल पीना है।।

क्या कहते हो ,मजबूरी है
थकना पथ में कमजोरी है
उत्तुंग हिमालय चढ़ना है
गिरना है और सम्भलना है
पथ जितना भी पथरीला हो
अंगार भरा रेतीला हो
खोजा है जिसने पाया है
कब लक्ष्य द्वार चल आया है
तुम बनो निश्चयी वीर बनो
राणा सा रणधीर बनो
चाणक्य बनो जो बन पाओ
तप कोहिनूर सा बन जाओ
जीवन शेरों सा जीना है।
हंस तुम्हें हलाहल पीना है।।

-उदयराज मिश्र

Times Todays

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