

दे भाग्य को ही गालियां
अम्बेडकर नगरजिलेसाहित्य जगत September 23, 2020 Times Todays News 0

रोटियों के खेल में
पिस रहा है वो
खेतों में रात रातभर
घिस रहा है जो
कोई बना रहा है तो-
सेंकता है कोई
वो तो अभी भी भूखा
बेटी भी भूखी सोई
पत्नी भी चाट थालियां
दे भाग्य को ही गालियां
थपथपी खिलाती है
बच्चों को सुलाती है
संसद में शोरगुल में-
दब गया है वो
सब सेंकते हैं रोटियां
लुट गया है वो
पूंछता हूँ खुद से-
सेंकता जो,कौन है?
चुप्प हैं सारे के सारे-
और संसद मौन है।।
-उदयराज मिश्र
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