

बातचीत जब बन्द हो,मन में पड़े दरार
राष्ट्रीयसाहित्य जगत September 18, 2020 Times Todays News 0

बातचीत जब बन्द हो,मन में पड़े दरार।
कहो उदय कैसे चले, दशरथ सा परिवार।।
खुद को अच्छा जब कहे,दोष पराया देय।
समझो स्वारथ सिर चढ़ा, रहा न कोउ प्रेय।।
मन सच्चा तो नीक सब,मन मैला तो मैल।
बिना आंच उबले कहाँ,भले हो नौ मन तैल।।
टूट रहे परिवार अब,रहा नहीं हो भाव।
जिह्वा असि सम यूँ बनी,कभी न पूजे घाव।।
आज नहीं तो कल सही,सब जइहैं श्मशान।
चार दिना की जिंदगी,समझे नहिं इंसान।।
पाई पाई जोड़कर,खड़ा कियो टकसाल।
जहां न अपने लोग हों,जर बनता जंजाल।।
उदय कहाँ अब बुध रहे,मायावश सब अंध।
तारतार आकंठ तक,जर्जर सारे बन्ध।।
-उदयराज मिश्र
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