

राष्ट्रभाषा से ही हिंदी को मिलेगा सम्मान : राजेश
कुशीनगरजिले September 14, 2020 Times Todays News 0

डॉ ए एस विशेन/प्रेम प्रकाश
कुशीनगर
देश के लोगों के बीच सार्वधिक बोले जाने वाली हिंदी भाषा को 1949 में संविधान सभा में राज भाषा का दर्जा प्राप्त हो गया था। बावजूद इसके हिंदी देश की राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी है। जब तक यह राष्ट्रभाषा नहीं बनेगी तब तक उसे सम्मान नहीं मिल सकेगा।उक्त बातें हिंदी दिवस के अवसर पर श्रीनाथ संस्कृत महाविद्यालय परिसर में आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर राजेशकुमार चतुर्वेदी ने कही। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा का उत्थान तभी होगा। जब इसके प्रति समाज का हर व्यक्ति जागरूक होगा। महाविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रधानाध्यापक मोहन पांडेय ने कहा कि प्रत्येक वर्ष मनाई जाने वाली हिंदी दिवस की सार्थकता तब है जब हम सभी लोग मिल इसे राष्ट्रभाषा की दर्जा दिला सकें। शिक्षक संजय कुमार पांडेय ने कहा कि देश में सर्वप्रथम 14 सितंबर 1953 को हिंदी के उत्थान के लिए हिंदी दिवस आयोजन हुआ था। हिंदी भाषा देश में वहुतायत मात्रा में बोली जाती है। राष्ट्रभाषा बनने के लिए यह तड़प रही है, लेकिन राष्ट्रभाषा क्यों नहीं बन सकी इस पर समाज को सोचना होगा।इस दौरान डा वशिष्ठ द्विवेदी, सतीश कुमार शुक्ला, डा रामानुज त्रिवेदी, डा संदीप पांडेय, संजय दुबे, विनय मणि, विनोद मणि, कालिका दुबे, रामगोविंद मणि, जय गोविंद मणि, वीरेंद्र तिवारी, पवन कुमार शुक्ला, रिता त्रिपाठी, श्याम नारायण पांडेय, राधेश्याम पांडेय, बृजेश मणि, दिनेश भारद्वाज, अवधेश कुमार सिंह, मिथिलेश चौरसिया, विनोद मिश्रा सहित अन्य शिक्षक मौजूद रहे।
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