

–: राष्ट्रभाषा हिंदी:–
उत्तर प्रदेशराज्यराष्ट्रीयसाहित्य जगत September 13, 2020 Times Todays News 0

संस्कृत के कोख से जन्मी।
ऋषि यों के आश्रम में चहकी।
तुलसी के मानस में महकी।
मीरा के हिय से बरसी।
रैदास के प्यार से विहसी।
सूर के आंखों की ज्योति बनी।
कान्हा के संग रही खड़ी।
वाटिका में बिहारी के बिहार किया।
रस से रसखान को सराबोर किया।
रहीम कान्हा को एक किया।
भूषण कविता में विद्युत सी चमकी।
कबीर की साखी में प्रगटी।
जय शंकर की आंसू बन टपकी।
महादेवी संग बिहार किया।
निराला ने अमृत पान किया।
केशव संग कठिन तपस्या की।
विद्यापति के पदों में सर सी।
सेनापति की छंदों में जो है सजी।
दिनकर के मन में थी जो बसी।
बहुतों के प्यार तपस्या से।
भाषाओं की रज रानी बनी।
भारत की प्राण सदृश हिंदी।
राष्ट्र कीहै पहचान बनी।
मेजर डॉ. बलराम त्रिपाठी
9415460488
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