


बैकिंग उद्योग मे 5लाख रिटायर्ड पेंनशर है बैंको मे 1995 मे पेंनशन योजना लागू की.गई और सभी कर्मचारियों ने अपना आधा प्राविडेंट फंड लौटाकर पेंशन योजना मे शामिल हुए लेकिन बैंक कर्मियों के साथ बीते 25 साल से धोखा हो रहा है। रिटायरमेंट के समय वेतन का आधा पेंशन बन जाती है और जीवन भर यही रहती है। सरकारी विभागों में वेतनवृद्धि के समय पेंशन मे सुधार होता है लेकिन बैंंको मे पेंशन सूधार 25 साल से नहीं हुआ है जबकि इसबीच 10 वेतन वृद्धि समझौते हुए है। बैंको मे यूनियन ही वेतनवृद्धि की बातचीत करती है लेकिन यूनियन के नेता रिटायर पेंशनर कु बात सरकार से नहीं कर रहे हैं रिटायर संगठन को बातकरने का कानूनी अधिकार नहीं है। सेंट्रल बैंक रिटायर्ड अधिकारी संगठन के नेता और कांग्रेस श्रमप्रकोषठ के उपाध्यक्ष यस पी चौबे ने कहा है कि पेंशन सुधार के लिए धन बैको कैपास 3 लाख करोड़ है इसपर प्रति वर्ष 35हजार करोड़ बयाज जमा होता है और सभी पेंशनर्स को हर माह भुगतान 30 हजार करोड़ ही है। केवल सरकार की हरी झंडी मिलने की देर है। बीते माह रिटायर्ड बैंक कर्मियों का केंद्रीय वित्त मंत्री से प्रतिनिधि मंडल मिल चुका है। श्री चौबे ने बताया कि बैंक कर्मियों की पेंशन बताने मे शरमाते है। बैक का जनरल मैनेजर अधिकारी गण केंद्र सरकार के बाबू और चपरासी से भी कम पेंशन पाते हैं। मर जाने पर फेमिली पेंशन तो केवल 15% रह जाती है जिसमें बैंक कर्मियों की बिधवा ठीक से महीने भर खाना भी नहीं खा सकती है। अतः बैंको मे लमबित सभी वेतनवृद्धि समझौतों के आधार पर पेंशन अपडेशन शीध्र हो ताकि सममान जनक पेंशनर्स सर ऊंचा करके समाज में जिंदा रह सके।
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