नहीं रहे शास्त्रीय संगीत के सम्राट  पंडित जसराज नहीं रहे शास्त्रीय संगीत के सम्राट  पंडित जसराज
डा. मनी राम वर्मा शास्त्रीय संगीत के प्रसिद्ध गायक पंडित जसराज नहीं रहे। 17 अगस्त 2020 को सुबह 5 बजकर 15 मिनट पर दिल... नहीं रहे शास्त्रीय संगीत के सम्राट  पंडित जसराज

डा. मनी राम वर्मा

शास्त्रीय संगीत के प्रसिद्ध गायक पंडित जसराज नहीं रहे। 17 अगस्त 2020 को सुबह 5 बजकर 15 मिनट पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे। उनका जन्म 28 जनवरी 1930 को हुआ था। कोरोना वायरस महामारी के कारण लॉकडाउन के बाद से पंडित जसराज न्यूजर्सी अमेरिका में थे। मेवाती घराने के पंडित जसराज के निधन से संगीत जगत शोक में डूब गया है। उनकी बेटी दुर्गा जसराज ने यह जानकारी दी है। दुर्गा ने बताया कि, ’बड़े दुख के साथ हमें यह सूचित करना पड़ रहा है कि संगीत मार्तंड पंडित जसराज ने अमेरिका के न्यू जर्सी में सुबह 5ः15 बजे अपनी कार्डिअक अरेस्ट के चलते अंतिम सांसें लीं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम प्रार्थना करते हैं कि भगवान कृष्ण उनका स्वर्ग में प्यार से स्वागत करें जहां अब पंडित जी ओम नमो भगवते वासुदेवाय सिर्फ अपने प्यारे भगवान के लिए गाएंगे। हम प्रार्थना करते हैं कि उनकी आत्मा को हमेशा संगीत में शांति मिले’। प. जसराज ने संगीत दुनिया में 80 वर्ष से अधिक बिताए। भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायकों में से एक जसराज का संबंध मेवाती घराने से है। जसराज जब चार वर्ष उम्र में थे तभी उनके पिता पण्डित मोतीराम का देहान्त हो गया था और उनका पालन पोषण बड़े भाई पण्डित मणीराम के संरक्षण में हुआ। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (ए.आई.यू.) ने 11 नवंबर, 2006 को खोजे गए हीन ग्रह 2006 वी0पी032 (संख्या-300128) को पण्डित जसराज के सम्मान में ’पण्डित जसराज’ नाम दिया है। जसराज ने संगीत दुनियाँ में 80 वर्ष से अधिक बिताए और कई प्रमुख पुरस्कार प्राप्त किए। शास्त्रीय और अर्ध-शास्त्रीय स्वरों के उनके प्रदर्शनो को एल्बम और फिल्म साउंडट्रैक के रूप में भी बनाया गया हैं। जसराज ने भारत, कनाडा और अमेरिका में संगीत सिखाया है। उनके कुछ शिष्य उल्लेखनीय संगीतकार भी बने हैं। पण्डित जसराज के परिवार में उनकी पत्नी मधु जसराज, पुत्र सारंग देव और पुत्री दुर्गा हैं। 1962 में जसराज ने फिल्म निर्देशक वी. शांताराम की बेटी मधुरा शांताराम से विवाह किया, जिनसे उनकी पहली मुलाकात 1960 में मुंबई में हुई थी। जसराज को उनके पिता पंडित मोतीराम ने मुखर संगीत में दीक्षा दी और बाद में उनके बड़े भाई पंडित प्रताप नारायण ने उन्हे तबला संगत में प्रशिक्षित किया। वह अपने सबसे बड़े भाई, पंडित मनीराम के साथ अपने एकल गायन प्रदर्शन में अक्सर शामिल होते थे। बेगम अख्तर द्वारा प्रेरित होकर उन्होने शास्त्रीय संगीत को अपनाया। जसराज ने 14 साल की उम्र में एक गायक के रूप में प्रशिक्षण शुरू किया, इससे पहले तक वे तबला वादक ही थे। जब उन्होने तबला त्यागा तो उस समय संगतकारों द्वारा सही व्यवहार नहीं किया गया। उन्होंने 22 साल की उम्र में गायक के रूप में अपना पहला स्टेज कॉन्सर्ट किया। मंच कलाकार बनने से पहले, जसराज ने कई वर्षों तक रेडियो पर एक ’प्रदर्शन कलाकार’ के रूप में काम किया। जसराज मेवाती घराने से ताल्लुक रखते हैं, जो संगीत का एक स्कूल है और ’ख़याल’ के पारंपरिक प्रदर्शनों के लिए जाना जाता है। जसराज ने ख़याल गायन में कुछ लचीलेपन के साथ ठुमरी, हल्की शैलियों के तत्वों को जोड़ा है। जसराज के करियर के शुरुआती दौर में उन्हें संगीत के अन्य विद्यालयों या घरानों के तत्वों को अपनी गायकी में शामिल किए जाने पर उनकी आलोचना की गई थी। हालांकि, संगीत समीक्षक एस. कालिदास ने कहा कि घरानों में तत्वों की यह उधारी अब आम तौर पर स्वीकार कर ली गई है। जसराज ने जुगलबंदी का एक उपन्यास रूप तैयार किया, जिसे ’जसरंगी’ कहा जाता है, जिसे ’मूर्छना’ की प्राचीन प्रणाली की शैली में किया गया है जिसमें एक पुरुष और एक महिला गायक होते हैं जो एक समय पर अलग-अलग राग गाते हैं। उन्हें कई प्रकार के दुर्लभ रागों को प्रस्तुत करने के लिए भी जाना जाता है जिनमें अबिरी टोडी और पाटदीपाकी शामिल हैं। शास्त्रीय संगीत के प्रदर्शन के अलावा, जसराज ने अर्ध-शास्त्रीय संगीत शैलियों को लोकप्रिय बनाने के लिए भी काम किया है, जैसे हवेली संगीत, जिसमें मंदिरों में अर्ध-शास्त्रीय प्रदर्शन शामिल हैं। वे अन्य कई पुरस्कारों के अतिरिक्त प्रतिष्ठित पद्मभूषण से भी सम्मानित हो चुके हैं। मंगल और बृहस्पति के बीच एक हीन ग्रह का नाम पंडित जसराज के सम्मान में अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा रखा गया है। सुमित्रा चरित राम अवार्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट (2014), मारवाड़ संगीत रत्न पुरस्कार (2014), संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप (2010), स्वाति संगीता पुरस्करम् (2008), पद्म विभूषण (2000), संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1987), पद्म श्री (1975), संगीत कलारत्न मास्टर दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार, लता मंगेशकर पुरस्कार एवं महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार से सम्मानित हुए हैं। उनके निधन पर लोक संगीत गायिका मालिनी अवस्थी ने दुख प्रकट करते हुए ट्विटर पर लिखा कि मूर्धन्य गायक, मेवाती घराने के गौरव पद्मविभूषण पंडित जसराज जी नही रहे। आज अमरीका में उन्होंने अंतिम सांस ली। संगीत जगत की अपूरणीय क्षति है! विनम्र श्रद्धांजलि! प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्र सरकार के स्तर पर पंडित जसराज का शव अमेरिका से भारत लाए जाने के लिए बात हो रही है। हरियाणा के हिसार से संबंध रखने वाले पंडित जसराज के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, अखिलेश यादव समेत कई नेताओं ने ट्वीट कर शोक व्यक्त किया है। महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोबिन्द ने शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि संगीत विभूति व अद्वितीय शास्त्रीय गायक पंडित जसराज के निधन से दुख हुआ। पद्म विभूषण से सम्मानित पंडितजी ने आठ दशकों की अपनी संगीत यात्रा में लोगों को भावपूर्ण प्रस्तुतियों से आनंद विभोर किया।

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