

–:स्वतंत्रता :–
अम्बेडकर नगरजिलेसाहित्य जगत August 14, 2020 Times Todays News 0


अंबेडकर नगर
स्वतंत्रता कितनी प्यारी होती, परतंत्र मानव से पूछो।
सुख साधन से भरा हो पिजड़ा, पक्षी के हिय से पूछो।
गोवा दामन दुइ द्वीपों पर, बने कालकोठरी से पूछो।
कितने परिवार के लालो ने, प्राण न्योछावर कर डाला।
परवाह नहीं मां बहनों की, चिंगारी से बन गए ज्वाला।
कितने नाम गिनाऊ उनका, सूची लंबी हो जाएगी।
शक्य नहीं है नाम भी लिखना, मोटी पुस्तक बन जाएगी।
तन मन धन से कुर्बान हुए, तब कहीं स्वतंत्रता पाई है।
स्वतंत्रता की रक्षा करना, हर जन की जिम्मेदारी है।
है व्यक्ति राष्ट्र काअवलंबन , सुचिता हो जन जन के जीवन में।
सुदृढ़ राष्ट्र की आधारशिला, निर्मल मन के जनजीवन में।
ज्यों ईंट ईंट से मिलकरके, भव्य भवन बन जाता है।
जन-जन के पवित्र शुभ कर्मों से, राष्ट्र सुदृढ़ हो जाता है।
राष्ट्री पर्व जो आया है, संकल्प पर्व समझें इसको।
विचार कर्म का भाव से, कभी न छत पहुंचाएं इसको।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, नमन तिरंगे को करते।
जननी जन्मभूमि भारत के हैं पुत्र, शास्टांग दंडवत करते।
मेजर (डॉ. )बलराम त्रिपाठी
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