

–: जीवन स्मृति :–
अम्बेडकर नगरजिलेसाहित्य जगत August 13, 2020 Times Todays News 0

तैयारी में ही बीत गए जीवन के दिन चार।
जाने के दिन आ गए, कैसे हो उपचार।
धन-दौलत संपत्ति में, लगा रहा दिन रात।
पुत्र पुत्री के मोह में, सजा रहा बारात।
तेरी संपत्ति का हिसाब, ज्यों रखती सरकार।
जीवन जिसने है दिया, हिसाब लेते करतार।
आंख दिया जिह्वा दिया, कर्ण नाक है दीन।
संपूर्ण शरीर के साथ ही, मन बुद्धि है दीन।
उपयोग किया किस तरह से, जो समय था तेरे साथ।
हिसाब के साथ परिणाम भी, हर मानव के हाथ।
कर्म किया किस भाव से, न्याय का यही आधार।
फल भी वैसा ही मिले, देता है करतार।
जीवन के उपयोग का, अब से कर ले ध्यान।
समय निकल गया हाथ से, व्यर्थ तू जीवन मान।
मेजर (डॉ. )बलराम त्रिपाठी
No comments so far.
Be first to leave comment below.