डाॅ0 करुणा वर्मा
तुम्हें देखा लगे अच्छे बता मेरी ख़ता क्या है
तुम्हीं से प्यार कर बैठे बता मेरी सजा क्या है।
निगाहों को बहुत रोका मगर इस दिल को क्या करते
दिया इस दिल ने धोखा बता मेरी खता क्या है।
मुझे अक्सर सताया है तेरे उलझे सवालों ने
नहीं शिकवा किया कोई बता मेरी खता क्या है।
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