

…बाहर लम्मरदार कहाये घर में पानी भरे लुगाई
अम्बेडकर नगरजिलेराज्यसाहित्य जगत July 17, 2020 Times Todays News 1

डाॅ0 मनीराम वर्मा
आज के बूढ़े खच्चर भी चेतक का स्वांग रचाते हैं
रोज कनस्टर पीट के दम्भी तानसेन बन जाते हैं।
पत्ती की पहचान नहीं पर जडोंका भी करते संधान
नब्ज देखना नहीं जानते कहलाते हैं चरक महान
गुण-गोबर का भेद न मालूम नौरस पाठ पढ़ाते हैं।
छन्द-अन्तरा समझ न आये शब्द-अर्थ का भान नहीं
रामायण में दोष बताते वर्णों की पहचान नहीं
बैठ उधारी के छाजन में विश्वकर्मा कहलाते हैं।
पासा खेलके रोजी फाँसा छलसे पायी मान-बड़ाई
बाहर लम्मरदार कहाये घर में पानी भरे लुगाई
सरपंची के ताज सहारे बाजीगरी दिखाते हैं।
कुछ तो सोंचो करो विचार कैसे बदलेगा संसार
भोजन वस्त्रावास दवाई शिक्षा हो सबके घर-द्वार
इतने पर ही ध्यान चाहिए स्वर्ग पाठ क्यों गाते हैं?