


डाo मनीराम वर्मा
उपवास बढ़तै काल में अकाल ना पोषात बा सखी
सावन झापस झकोरे पिक उपास बा सखी।
गोहूँ चाउर बनके चान घटकै लुप्तके कगार
सब्जी दाल भै दवाई कर्ज पाई ना बेसार
छूटा काम बन्द घन्धा दिन में रात भा सखी।
पचँई तीज राखी रोजइ थोरै थोर नियराय
घर में सुगना भा उदास कइसे मान रहिजाय
लरिकै मेला देखै जइहैं जिउ डेरात बा सखी।
विधना रोई केसे रोना यी गरीबी में कोरोना
जिनगी लागेला पहाड़ मुँह छुपाई कउने कोना
साबुन सोड़ा कै अभाव पट बोसात बा सखी।।
रचनाकार: डाo मनीराम वर्मागुवाँव
(पालीपट्टी) टाण्डा, अम्बेडकरनगर(उ.प्र.)
मो0-9450491402
No comments so far.
Be first to leave comment below.