

तब तब याद तुम्हारी आई…
उत्तर प्रदेशराज्यसाहित्य जगत July 10, 2020 Times Todays News 0

हरिकांत त्रिपाठी (पूर्व गृहसचिव)
जब खेतों में फूली सरसों
हरित शस्य ने ली अंगड़ाई
टीस उठी मन के कोने में
तब तब याद तुम्हारी आई
नयनों में सावन-घन उमड़े
शूल भभूका सा उर घुमड़े
पीर पुरानी जब उग आई
तब तब याद तुम्हारी आई
जब टेसू वन उपवन दहके
मादक महुआ से मन बहके
मदिर मदिर महके अमराई
तब तब याद तुम्हारी आई
जब पेड़ों पर कोयल गाये
वन में पपीहा टेर लगाये
जब बारिश ने झड़ी लगाई
तब तब याद तुम्हारी आई
साँझ ढले दीपक बाती संग
खेतों की सोंधी माटी संग
जब जब बहक बही पुरवाई
तब तब याद तुम्हारी आई
जब जब प्रीति टूटते देखा
मन के मीत रूठते देखा
देखी जब उर की निठुराई
तब तब याद तुम्हारी आई
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