

गुरु महिमा
साहित्य जगत July 4, 2020 Times Todays News 1

डॉ. बलराम त्रिपाठी
गुरु के शरण में जाइए, जो चाहत ज्ञान प्रकाश
भाव बंधन को दूर करें, होय अविद्य नाश।
ब्रह्मा विष्णु से भी बड़ा, गुरु से बड़ा न कोय
चरण धूलि मस्तक धरे, आवागमन न होय।
सद्गुरु ना पहचान ना, पाप महा अज्ञान
हीरा था जो खो दिया, पत्थर चमकीला जान।
कण-कण में भगवान है, दर्शन शक्य न होय
गुरु ज्ञान की ज्योति से, सर्वत्र ही दर्शन होय।
तन मन को अर्पित करें, रहे पूर्ण समर्पण साथ
भवसागर को पार करेंगे, पकड़ के तेरा हाथ।
चरण धूल सिर पर धरे, हिय से करें प्रणाम
गुरु कृपा से जो मिले, मिले न चारों धाम।
मन बुद्धि की जहां पहुंच नहीं, इंद्रिय को ज्ञान न होय
शब्द निशब्द होवें जहां, सद्गुरु पहुंचा वे तोय।
ध्यान न ध्याता न ध्येय जहां, ज्ञान न ज्ञानी न ज्ञेय
देश काल वस्तु नहीं, स्थान वही गुरुदेय।।