


पूरे प्रदेश को हिलाकर रख देने वाली बिकरू गांव में हुई घटना में चौबेपुर थानेदार विनय तिवारी की भूमिका संदिग्ध लग रही है। पहले थानेदार ने विकास दुबे पर रिपोर्ट दर्ज न कर पीड़ित राहुल को भगा दिया था। इसके बाद सीओ ने रिपोर्ट दर्ज कराई और गिरफ्तारी के लिए दबिश दी। दबिश में चौबेपुर थानेदार गए तो लेकिन पीछे-पीछे रहे और हमले से ठीक पहले वहां से भाग निकले। इससे वे शक के घेरे में आ गए हैं। मोहिनी नेवादा निवासी राहुल तिवारी ने दो दिन पहले चौबेपुर थाने में विकास दुबे के खिलाफ हत्या के प्रयास का आरोप लगाकर तहरीर दी थी। आरोप है कि एसओ विनय तिवारी ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की। जानकारी होने पर सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा ने रिपोर्ट दर्ज कराई। इसी केस में विकास दुबे को उठाने के लिए आला अधिकारियों की अनुमति पर पुलिस ने दबिश दी। कुछ महीने पहले सीओ ने चौबेपुर क्षेत्र में बड़ा जुआ पकड़ा था। मामले में सीओ ने जांच की थी तो पता चला था कि जुआ खिलाने के बदले रकम थानेदार तक पहुंचती है। जिसके बाद उन्होंने उसके खिलाफ रिपोर्ट लगाई थी। ऐसे कई मामले हैं, जिनकी वजह से सीओ और एसओ के बीच विवाद रहता था। दोनों एक दूसरे से असहमत रहते थे। जमीन पर कब्जे को लेकर जादेपुर गस्सा गांव निवासी राहुल तिवारी ने चौबेपुर एसओ विनय तिवारी से शिकायत की थी। इस संबंध में एसओ बुधवार को विकास दुबे से पूछताछ करने उसके घर गए थे। पूछताछ के दौरान ही विकास ने एसओ से हाथापाई कर दी थी। उस वक्त एसओ ने वहां से वापस होने में ही अपनी भलाई समझी। गुरुवार को पुलिस ने राहुल की तहरीर पर विकास के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली।राहुल के अनुसार विकास दुबे ने उसके ससुर लल्लन शुक्ला की जमीन जबरन अपने नाम बैनामा करा ली थी। इसे लेकर उन्होंने विकास के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा भी दायर किया था। इसी मुकदमे को वापस लेने का दबाव बनाने के लिए विकास दुबे, सुनील, बाल गोविंद, अमर दुबे, शिवम दुबे ने एक जुलाई को उसे बंधक बना कर पीटा था।
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