


प्रफुल्ल श्रीवास्तव

अंबेडकरनगर। महामाया मेडिकल कॉलेज सदरपुर कोविड-19 वर्ल्ड की व्यवस्था पूरी तरह धराशाई है।अव्यवस्था का आलम यह है कि अब तक दो दर्जन से अधिक लोग ऑक्सीजन के अभाव में अपना दम तोड़ चुके हैं।जिला प्रशासन और मेडिकल कॉलेज प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। वह पीड़ितों की आवाज सुनने को तैयार नहीं है। गौरतलब है कि कोरोनावायरस गंभीर मरीजों को कोविड-19 वर्ल्ड सदरपुर मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल के साथ आसोपुर टांडा कोविड-19 अस्पताल में रखा जा रहा है। मरीजों की देखरेख के लिए लंबा चौड़ा बजट आवंटन किया गया। इसके बावजूद मरीजों की देखरेख राम भरोसे है। अव्यवस्था के कारण कोई ऐसा दिन नहीं जा रहा कि गंभीर मरीज कोविड-19 के अभाव में दम अपना तोड़ना रहे हो आलम यह है। प्रशासन कार्रवाई की बजाय चुप्पी साधे हुए हैं। ऐसे में मासूमों की जान इलाज के अभाव में चली जा रही है। ऐसे में जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पर कई सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। समुचित स्वास्थ्य व्यवस्था है तो लोग दम क्यों तोड़ रहे हैं।अगर व्यवस्था नहीं है तो दावे क्यों किए जा रहे हैं। अगर व्यवस्था खराब है तो उसको सुधारा क्यों नहीं जा रहा है। निश्चित तौर से यह सवाल लोगों के बीच गूंज रहा हैं। भाजपा की योगी सरकार भले ही लाख दावे कर रही हो लेकिन अंबेडकर नगर स्वास्थ्य महकमे की हाल बेहाल है। लोग बीमारी से कम इलाज के अभाव में ज्यादा दम तोड़ते हुए नजर आ रहे हैं। यह अंबेडकर नगर की सच्चाई है। जिसे सरकार मानने को तैयार नहीं है। शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज मे इलाज के दौरान ऑक्सीजन के अभाव में अपने माता पिता का एकलौता पुत्र अतुल वर्मा डीएल एंड सत्र 2019 का छात्र अपना दम तोड़ दिया। परिजनों का चिराग बुझ गया। लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन का दिल नहीं पसीजा। जिले में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह लड़खड़ा गया है। जिला अस्पताल कोविड-19 वर्ल्ड और इमरजेंसी वार्ड में बेड खाली ना होने का नोटिस चस्पा कर दिया गया है।यही हाल सदरपुर मेडिकल कॉलेज का है। कोविड-19 गंभीर मरीज ऑक्सीजन के अभाव में अस्पतालों की चौखट पर अपना दम तोड़ रहे हैं और जिला प्रशासन चैन की नींद सो रहा है। अब तक अस्पतालों की चौखट पर दो दर्जन से अधिक मरीज भर्ती न होने से दम तोड़ चुके हैं।
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