हाँ मैं वो ही नारी हूँ…. हाँ मैं वो ही नारी हूँ….
कष्ट असंख्य सहे हैं हमने फिर भी न हिम्मत हारी हूँ।दंश उपेक्षाओं का झेला जिसने,हाँ मैं वो ही नारी हूँ….।। चलो बात थी तब... हाँ मैं वो ही नारी हूँ….

कष्ट असंख्य सहे हैं हमने फिर भी न हिम्मत हारी हूँ।
दंश उपेक्षाओं का झेला जिसने,हाँ मैं वो ही नारी हूँ….।।

चलो बात थी तब की माना, अब क्या कहो कहानी है,
है आज भी वैसा रूप समाज का, क्या बदली उसकी बानी है।
अब भी दोयम दर्जे में रहती, घर-घर की यही कहानी हूँ,
फिर भी खड़ी अडिग धरा पर जो,हाँ मैं वो ही नारी हूँ….।।
है लक्ष्य भेदने का साहस मैं क्यों विपदा से घबराऊँ,
हिम्मत है मुझमें भरी हुई मैं क्यों दुविधा से डर जाऊँ।
अभिशापित जीवन के आगे मैं कभी न ख़ुद से हारी हूँ,
जीती है हर बाज़ी जिसने, हाँ मैं वो ही नारी हूँ….।।
क्या जाने कोई मर्म ह्रदय का, नारी गागर में सागर है,
जन्म दिया है जिसने सबको, छाँव की मीठी चादर है।
ये ही, वो है, जिसके आगे दुनियाँ भर की दुश्वारी है,
दुःख अंदर और हंसी लबों पर, जी लेती, वो नारी है।।
बहुत हुआ अब फूल न समझो, पल में धूल चटा दूंगी,
अस्मिता की खातिर नारी के, सहसा मैं तुम्हें मिटा दूंगी।
वो तब था, तब की बात और थी, मैंअब की नई रवानी हूँ,
मत खेलो मुझसे जल जाओगे, आग में बहता पानी हूँ।।
जो दूध पिया है तुमने उसका, पान किया है मैंने भी,
दम जितना तुममें है उतना ही, जोश भरा है मुझमें भी।
ये भूल तुम्हारी होगी गर, कमजोर समझ लिया नारी को,
समूल नाश कर देगी नारी, चुन-चुन कर हर व्यभिचारी को।।
गर साहस है तो कदम बढ़ाओ, तुमने भी दूध पिया होगा,
वो नारी ही है, जिसे मां कह कर, जीवन की सीख लिया होगा।
दो शिक्षा, मान, सम्मान नारी को, ये दुनियाँ में सबसे न्यारी है,
जिसके कदमों में जन्नत है वो मां भी तो एक नारी है।।
चाह है मेरी इतनी ही,
लें हक हम एकजुट हो कर, बाधाएँ मिले चाहे जितनी भी।
जो बाधक हों इस पथ पर, उन सब की मैं दुश्वारी हूँ,
हाँ मैं वो ही नारी हूँ….हाँ मैं वो ही नारी हूँ….।।

श्रद्धा वर्मा ( प्रधानाध्यापिका )
प्राथमिक विद्यालय जहीदपुर
शिक्षा क्षेत्र टाण्डा ,अम्बेडकरनगर

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