



ज़िंदगी में ज़िंदगी सी बात ज़रूरी है
ज़िंदा रहने के लिये इक आग ज़रूरी है!!
इंसान हो इंसानियत से काम लेते क्यूँ नहीं
दिल तेरा हो या मेरा जज़्बात ज़रूरी है!!
सूखने देना न रिश्तों की जड़ों को धूप में
गाहे-गाहे प्यार की बरसात ज़रूरी है!!
क्यूँ तलाशें हम खुशी इसमें, उसमें, गैर में
खुद की खुद से एक मुलाक़ात ज़रूरी है!!
इक खलिश गर न हो तो लज़्ज़त कहां जीने में है
ज़िंदगी के लुत्फ को इक मात ज़रूरी है!!
- नीलम
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