एक गजल मतवाली सी…. एक गजल मतवाली सी….
जफर फ़ैज़ाबादी एक गजल मतवाली सीउस के लब की लाली सीमदमाती उजियाली सीसावन की हरियाली सी। माथे पर चंदन रोलीजैसे कान्हा की होलीमीठी कोयल... एक गजल मतवाली सी….
प्रस्तुतिकर्ता

जफर फ़ैज़ाबादी

एक गजल मतवाली सी
उस के लब की लाली सी
मदमाती उजियाली सी
सावन की हरियाली सी।

माथे पर चंदन रोली
जैसे कान्हा की होली
मीठी कोयल की बोली
है, राधा की गाली, सी।
वह आन्चल पुरवाई सा बल खाता अंगडाई सा
नटखट किशन कन्हाई सा
रंगत लाल गुलाली सी ।

सूख गयीं अमरैयाअं री
बीत गयीं लरकय्याअं री
बिछड़ गयी सब गोइयाअं री
पनघट खाली खाली सी।

अब वो हिन्दुस्तान नहीं
पहले से इन्सान नहीं
वह मुरली की तान नहीं
खो गयी कमली काली सी

याद पुरानी ऐसी है
नींदों को हर लेती है
मन को डसती रहती है
जैसे नागिन काली सी ।

क्यों आता है ध्यान जफर
चौपाले वीरान जफर
खूब थे वो इन्सान जफर
सूरत भोलीभाली सी ।

प्रस्तुतकर्ता

सैयद अहमद (पूर्व प्रधानाचार्य) जनता इंटर कॉलेज उतरेथू – निवासी ग्राम सभा -मदारपुर विकासखंड टांडा, अंबेडकर नगर

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