


भेलसर। प्रदेश के हिंदी संस्थान द्वारा 2019 के सृजन के सारथी को सम्मानित करने वालों साहित्यकारों की सूची में रुदौली ब्लाक के ग्राम हसनामऊ निवासी साहित्यकार साधू शरण वर्मा का नाम भी शामिल किया गया है। साधू शरण वर्मा का जन्म रुदौली ब्लाक के ग्राम हसनामऊ में 7-12-1939 को कृषक परिवार सूर्यपाल के यहां हुआ था। उन्होंने गांव में चलने वाली प्राइमरी पाठशाला में पढ़ाई की शुरुआत की, वर्ष 1956 में जूनियर हाई स्कूल शुजागंज में शिक्षा के दौरान जनपद में प्रथम स्थान प्राप्त किया। वर्ष 1957 में हिंदू इंटर कालेज रुदौली में प्रवेश किया। जहां सन् 1960 तक कालेज यूनियन के अध्यक्ष रहे। इसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रवेश किया जहां सन् 1964 सर्वाधिक अंक पाने के उपलक्ष्य में राज्यपाल द्वारा स्वर्ण पदक से सम्मानित गया। सन् 1964 में में जिला पूर्तिधिकारी के पद पर प्रशासनिक सेवा का अवसर मिला। जिन्होंने कई जनपदों में जिला पूर्तिअधिकारी की जिम्मेदारी निभाई। कानपुर में 12 वर्ष तक जिला पूर्ति अधिकारी के पद पर तैनात रहे इसी दौरान कानपुर में प्रतिवर्ष साहित्यकारों का होने वाला संगम में जाने लगे जहां गोपालदास नीरज से लेकर लगभग 64 सहियकारों से गहरे संबंध भी बन गए।उन्हें सोहनलाल द्विवेदी ने डॉ रामकुमार वर्मा से भूमिका लिखाकर निजी खर्च से उनकी पहली पुस्तक अंतरध्वनि गीत प्रकाशित हुई। साहित्यकार साधू शरण वर्मा ने कई संस्कृत की पुस्तकों का अवधी भाषा में अनुवाद भी किया है। जिन्हें देश के अलग-अलग स्थानों पर अब तक 37 बार सम्मानित किया जा चुका है। जिनकी अब तक 26 पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। साधू शरण वर्मा ने बताया कि प्रदेश की हिंदी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण सम्मान मिलने वालों की सूची में मेरा नाम भी शामिल किया गया है।
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