


आज इन कुम्हारों को देख बरबस कदम रुक गए,सोचा कुछ पल रुकू और देखु समझू और सांझा करु कुछ मन की आप सभी से….
कुछ ऐसे ही होते हैं माता-पिता,गुरु,मित्र और समय जो आपके कच्चे मन को अधपके हौसलों को अंदर से पीट पीटकर पका कर मजबूत बनाता है क़ाबिल बनाता है उन विपरीत परिस्थितियों के लिये जब आपको दुनिया में अकेले ही उन विपत्तियों को सहना पड़ेगा।
कच्चे मिट्टि सा बच्चे का व्यक्तित्व जिन्हें माता पिता अपने प्रेम से अपने बनाये नियमों से कर्मभूमि के लिये सालों साल पकाते है, संवारते है इस संसार के लिये तैयार करते है ताकि आगे की हर लड़ाई के लिए बच्चा पौधे से वटवृक्ष बन खड़ा हो सके।
ये नाज़ुक सा कच्चे मिट्टी के बर्तन से बच्चे जिन्हें गुरु अपने नियमो से तराशता है कुंदन सा बनाता है चमकने के लिए ताकि जगमगा सके हम-आप।
सोंधी खुश्बू वाले ये कच्चे मिट्टी के अधपके घड़े सा हमारा आपका व्यक्तित्व जिनको समय समय पर सच्चा मित्र संवारता है अपने उम्मीदों की आग हमें इसलिए देता रहता है ताकि हम आप इस शब्दभेदी दुनिया को समझ सके,उठ खड़े हो सके अपनी विपरीत परिस्थितियों में चमक सके अपनी हिम्मत के बल पर।
और “समय” ये सबसे बड़ा कुम्हार आपके जीवन का जिसने आपको जाने कितनी बार कच्चे मिट्टी रहने पर ही बिगाड़ दिया बना दिया,इसी समय ने हमारे व्यक्तित्व पर अनन्त कलाकारी नक्काशी करी हमें गिरना भी सिखाया इसी समय ने और उठ कर खड़ा होना भी तो जो कोई न सीखा पाए वो समय का कुम्हार सीखा देता है।
तो धन्यवाद अदा करिये अपने जीवन के कुम्हारों का जिन्होंने आपके व्यक्तित्व को अंदर और बाहर से निखार दिया है।
डिम्पल राकेश तिवारी
अवध यूनिवर्सिटी चौराहा
अयोध्या
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