“औरतें लिखने का नही समझने का विषय” “औरतें लिखने का नही समझने का विषय”
“ औरतें लिखने का विषय नही समझने का विषय है,तार्किक बातों से मन को सन्तुष्ट किया जा सकता हैपर यथार्थ के पटल पर वो... “औरतें लिखने का नही समझने का विषय”

औरतें लिखने का विषय नही समझने का विषय है,
तार्किक बातों से मन को सन्तुष्ट किया जा सकता है
पर यथार्थ के पटल पर वो सिर्फ़ प्रेम चाहती हैं बिना लाग लपेट वाला प्रेम,बिना फरेब वाला प्रेम,बिना स्वार्थ वाला प्रेम…
बेशक़ उसे दुर्गा लक्ष्मी न बनाइये पर उसे मार्मिक छोर तक ले जाने के किये बाध्य भी न करिये,
मां हो बहन हो पत्नी हो दोस्त हो किसी भी रुप में बस उसको सम्भाल लीजिये, हाँ थोड़ी न नासमझ होती है,पर आपको बिना सोचे समझें आपकी हर ग़लती को सीने में छुपा भी तो लेती हैं,
हाँ आधुनिकता की होड़ में थोड़ी पीछे खड़ी दिखती है पर उलझी लटों को कान के पीछे जब फंसाती है तो आपकी ही ख़ुशी के लिये संग संग उन ख्वाइशों को भी पीछे ही रख फंसा देती हैं जो उनको आधुनिकता की रेस से बाहर कर देता हैं।
हाँ थोड़ी मूडी होती है ये औरतें,पर दो परिवारों को खुश करने में जो अपने हिस्से की ख़ुशी खोती हैं उसी के नाते मन के भाव विरक्त होते हैं।
बहुत हुआ उपहास का विषय,चलिये आज हृदय में एक बात बिठाये कुछ भी न बोले बिना किसी उपहार के अपने घर की हर महिला को बस सानिध्यता,प्रेम,बिना शर्त के स्वीकारे और हृदय से लगाएं यही होगा महिला दिवस का सम्मान..
कभी कभी बिना कुछ कहे बहुत कुछ कह दिया जाता हैं उसी धार को पकड़ गर जीवन को सरल किया जा सकता हैं तो एक कोशिश बनती हैं।
महिला दिवस पर सभी को अनन्त शुभकामनाएं
डिम्पल राकेश तिवारी

Times Todays News

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