

डग्गामार वाहनों की भरमार
अयोध्याजिलेराज्य March 6, 2021 Times Todays News 0

दिनेश कुमार वैश्य
बाबा बाजार मवई अयोध्या/ बाबा बाजार जगदीशपुर से रुदौली मार्ग पर वर्तमान समय डेढ़ दर्जन से अधिक
डग्गामार वाहन बिना रोक-टोक समस्त नियम कानून को ताक पर रखकर तेजी से फर्राटा भर रहे हैं इनके वाहन स्वामियों/ चालकों का आतंक मौजूदा समय यात्रियों पर व्याप्त है रुदौली तहसील मुख्यालय जाने वाले क्षेत्रीय वाद- कारियों तथा बाबा बाजार क्षेत्र के रोजमर्रा गृहस्थी की सामग्री का क्रय करने हेतु व रुदौली कस्बा जाने वाले नागरिकों /ग्रामीणों से मौजूदा समय किराया के नाम पर डग्गामार वाहन स्वामियों/ चालकों द्वारा मानक से अधिक धन वसूला जा रहा है ना चाहते हुए भी यात्रियों को अधिक धन देकर यात्रा करनी पड़ रही है बताते चलें रुदौली से जगदीशपुर तक कोई सरकारी बस अथवा अनुबंधित निजी बस या निजी मिनी बस न चलने के कारण डग्गामार वाहन स्वामियों /चालकों के हौसले बुलंद हैं और मनमाने तरीके से यात्रियों से अवै -धानिक अधिक धन वसूला जा रहा है परंतु पुलिस एवं आर टी ओ विभाग द्वारा कोई कारगर कार्रवाई न किए जाने से क्षेत्रवासियों में रोष व्याप्त है क्षेत्रवासियों के बार-बार मांग के बावजूद भी शासन प्रशासन द्वारा सरकारी अथवा अनुबंधित बस का संचालन उक्त मार्ग पर न किए जाने से लोगों में छोभ व्याप्त है जिसका संपूर्ण फायदा डग्गामार वाहन स्वामियों एवं चालकों को मिल रहा है वही अधिक किराया देकर सारा खामियाजा यात्रियों को मजबूरन भुगतना पड़ रहा है
एक जानकारी के अनुसार गोमती नगर पॉलिटेक्निक लखनऊ से फैजाबाद मुख्यालय की दूरी लगभग 127 किलोमीटर है जबकि
प्रति यात्री का किराया सरकारी बस से करीब ₹100 तथा निजी टैक्सियों से इतनी दूरी का किराया लगभग ₹120 है जो एक रुपए प्रतिकिलो मीटर की दर से भी कम है वही बाबा बाजार से रुदौली मुख्यालय की दूरी मात्र 13 किलो मीटर है जिसका किराया ₹40 प्रति यात्री की दर से डग्गामार वाहनों के स्वामी और चालकों द्वारा वसूला जा रहा है जो प्रति किलोमीटर के हिसाब से ₹3 से अधिक पड़ता है
यही नहीं बाबा बाजार से शुकुल बाजार की दूरी मात्र 9 किलोमीटर है फिर भी प्रत्येक यात्रियों से वाहन चालकों द्वारा ₹40 वसूला जाता है जो संबंधित विभाग के नियमावली व अन्य संपर्क मार्गो पर चल रहे वाहनों के किराया के सापेक्ष अधिक है परंतु संबंधित विभाग सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनने का स्वांग रच रहा है यात्रियों द्वारा
किराया अधिक वसूले जाने का विरोध करने पर बताया जा रहा है की इन वाहनों में डीजल मोबिल लगता है मरम्मत होती है तो क्या लखनऊ से फैजाबाद जाने वाले सरकारी अथवा निजी वाहनों में डीजल मोबिल नहीं लगता है? या उनकी मरम्मत नहीं होती है वही उन वाहनो का किराया कम और इन वाहनो का किराया अधिक क्यों है ?ऐसी दशा में डग्गामार वाहनों पर संबंधित विभाग के सक्षम अधिकारियों /कर्मचारियों द्वारा विभागीय नियमावली के तहत आवश्यक कार्रवाई आखिर क्यों नहीं की जा रही है?
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