

मैं अपने ही ख़िलाफ़ खड़ी हूँ
अयोध्याजिलेराज्य February 18, 2021 Times Todays News 0

अपना हृदय पत्थर पर दे मारा
नींद को कर दिया आसुंओ के हवाले
आँखों में उम्मीद की जगह खारे पानी का सैलाब था
मेरी रूखी हथेलियों से फिसल रही थी वक़्त की रेत
गुज़रा वक़्त आँखों के समंदर में किरकिरा रहा था
और ये सब होते मैं देख रही निर्विकार
मैं अपने ही ख़िलाफ़ खड़ी हूँ
मेरा युद्ध मुझसे ही हैं
और हार जाना बेहद दिलकश विकल्प
लेकिन हर दिलकश शै सही नहीं होती
फिर मैंने लड़ते रहने की निष्ठुर राह चुनी
बचने के लिये कभी-कभी निष्ठुर होना ज़रूरी होता..
डिम्पल राकेश तिवारी
अवध यूनिवर्सिटी चौराहा अयोध्या
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