

कुछ तो सीखा जा सकता है
अम्बेडकर नगरजिलेराज्य February 2, 2021 Times Todays News 0

परिणाम जुआरी का क्या होता, पांडू युधिष्ठिर से पूछो।
दुष्ट मित्र यदि मिल जाए तो, कर्ण से मिल करके पूछो।
मो ह में अंधा होकर सोचो, धृतराष्ट्र ने क्या पाया।
विचार न किया परिणामों पर, कुंती ने क्या कुछ खोया।
व्यंग हंसी क्या कर सकती, परिणाम द्रोपदी से पूछो।
काम कितना दुखदाई है, पांडु से जाकर पूछो।
अन्याय का आश्रय लेकर, देखो दुर्योधन का क्या होता है।
बिन सोचे जो शपथ लिया तो, परिणाम भीष्म का होता है।
अपमान किया यदि नारी का, दुशासन का क्या परिणाम हुआ।
मन को स्वच्छंद किया यदि, अश्वत्थामा का क्या हाल हुआ।
कामवासना में पड़ कर, शांतनु का सत्यानाश हुआ।
दृष्टिहीन का संग किया, गांधारी का क्या हाल हुआ।
क्रोध में पढ़कर परीक्षित ने, कैसा था अन्याय किया।
अर्ध सत्य पर ध्यान दिया, द्रोण को मृत्यु ने निगल लिया।
मनोबल का जो नाश करें, शल्य से सीखा जा सकता है।
महाभारत के इन पात्रों से, कुछ तो सीखा जा सकता है।
मेजर डॉ. बलराम त्रिपाठी
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