हम उसके नजर में है हम उसके नजर में है
कण-कण में विद्यमान है वह, देख चक्छु न सकते हैं।भाव तेरे मन में जो उठते, उसे देखते रहते हैं। छिप सकते नहि कभी हम... हम उसके नजर में है

कण-कण में विद्यमान है वह, देख चक्छु न सकते हैं।
भाव तेरे मन में जो उठते, उसे देखते रहते हैं।

छिप सकते नहि कभी हम उनसे, अपार दृष्टि वह रखते हैं।
कर्म कोई भी करते हैं हम, दृष्टि में उनके रहते हैं।

जल थल नभ रचा उसी ने, आधार जगत का वह ही है।
धरा पर जितने दृश्य है दिखते, सभी रूप में वह ही है।

अधर्म अनीति पर चलने वालों, अपनी धाक जमाने वालों।
मिथ्या अहं दिखाने वालों, निर्बल जन को सताने वालों।

धरा से आकाश तलक, फैला साम्राज्य उसी का है।
देव सभी महिमा है गाते, सदा खड़े दरवाजे पर।
सूर्य चंद्र ग्रह नक्षत्र चलते, उसके एक इशारे पर।

उ सी प्रभु के नजर में हैं हम, छुपे कहां रह सकते हैं।
अब से चेत ले हे मन मेरे, बचके नहीं जा सकते हैं।

मेजर डॉ. बलराम त्रिपाठी

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