

–: अब :–
अम्बेडकर नगरजिलेसाहित्य जगत January 20, 2021 Times Todays 0

” अब ” पर ध्यान दिया नहीं तो समझो जीवन व्यर्थ गया।
भूत से हमको क्या लेना जो “अब” था कब का बीत गया।
प्रायश्चित करना है यदि “तब” पर, अब पर अपना ध्यान लगा।
अब से निकलेगा भविष्य सभी, वर्तमान पर ध्यान टि का।
“अब “को बिसरा कर जो सोते हैं, भूत भविष्य में जीते हैं।
समय गवा ते निशदिन वे, मा थ पकड़ कर रोते हैं।
कल्पना लोक में जीते जो, याद भूत का करते हैं।
दोनों जीवन से वंचित करता, सपनों में सो कर जीते हैं।
सपनों की रात्रि मिलती उसको, जागरण का सूर्य न मिल पाता।
अतीत भविष्य के हि डोले से, वह कभी नहीं निकल पाता।
“अब “को जीवन का आधार बना, देता जीवन का लक्ष्य यही।
“अब” की महिमा जब समझेगा, देगा जीवन का मर्म यही।
जिसने “अब “को स्वीकार किया, मिलता नवजीवन है उसको।
भ्रांति मुक्त हो जाता वह, जीवन सार्थक मिलता उसको।
डॉ. बलराम त्रिपाठी
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